Thursday, April 30, 2020

प्रकृति का संतुलन 

 क्या यह प्रकृति का ही संतुलन नियम तो नहीं है? जो कभी बाढ़, भूकंप, साइक्लोन तो अब कोरोना के जरिये खुद को संतुलित करने में लगी रहती है। यह संकेत भी है महाप्रलय का अगर अब भी नहीं चेते तो फिर इस धरती का भगवान ही मालिक है।
अलविदा ऋषि  
क्या कहूँ? कैसे कहूँ? छोड़कर जो तुम गये,
पल में रिश्ते-नाते को, तोड़कर जो तुम गये।


Wednesday, April 29, 2020

अलविदा इरफ़ान



जो आया है वह जाएगा, कौन यहाँ रह पाएगा?
माटी का यह देह यहीं पे माटी में मिल  जाएगा।
ऐसे लेकिन तेरा जाना, किसने था यह जाना-
रोई होगी मौत भी मिलके, सबको यूँ ही रुलाएगा।।
©पंकज प्रियम

Tuesday, April 28, 2020

आज पढ़िए जमशेदपुर से कवयित्री श्वेता सिन्हा जी की कविता

और....
कामना करता है
पल-पल, हरपल
अपने हृदय के
भावनाओं के 
तरल प्रवाह का
पाषाण-सा
स्पंदनहीन हो 
जाने की।