साहित्योदय
कला और साहित्य का मौलिक मंच है जहाँ हर किसी को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का भरपूर अवसर दिया जाता है।साहित्य और क्षेत्रीय भाषा-बोली के विकास हेतु प्रतिबध्दता के साथ सभी को समान अवसर दिया जाता है। स्वरचित मौलिक रचनाएँ ही स्वीकार्य है। किसी भी तरह के कॉपी पेस्ट, फोरवर्डेड, भ्रामक, विवादित पोस्ट वर्जित है। अभिव्यक्ति की आज़ादी के दायरे में रहकर लिखी गयी हर सामग्री स्वीकार्य है।
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Thursday, April 30, 2020
अलविदा ऋषि क्या कहूँ? कैसे कहूँ? छोड़कर जो तुम गये, पल में रिश्ते-नाते को, तोड़कर जो तुम गये।
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